मनुवर फारुकी ने एक मौलाना का भरे मजमे में मजाक उड़ाया
सवाल यह है कि वह मौलाना साहब मनुवर फारुकी जैसे बेहद अभद्र और बदतमीज़ “कलाकार” के कार्यक्रम में क्यों गए?
जब आप ऐसे अशिष्टता के प्रवर्तक के पास जाएंगे, तो दुनिया में आपकी क्या इज्जत रह जाएगी?
जिस अंदाज में मनुवर फारुकी ने “कन्फर्म जहन्नमी” का ताना मारा है, उससे यह समझा जा सकता है कि मनुवर फारुकी के दिमाग में उलेमा (धर्मगुरुओं) की कितनी इज्जत है, इस्लाम की क्या तस्वीर है, और जन्नत और जहन्नम का क्या मतलब है।
अब कुछ लोग कहेंगे कि हमें मनुवर फारुकी तक धर्म का संदेश पहुंचाना चाहिए। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि मनुवर फारुकी को सुधारने की अब कोई कोशिश बाकी नहीं है। समझाने वालों ने उसे बहुत समझाया है।
शुरुआत में, जब मनुवर फारुकी को दक्षिणपंथियों ने निशाना बनाया था, तो हमने उसका पूरा समर्थन किया था। लेकिन बाद में पता चला कि इस व्यक्ति का धर्म और क़िबला सिर्फ कैमरा और शोहरत है। मुसलमानों से थोड़ी-सी सहानुभूति मिलने के बाद इसका दिमाग घमंड और अहंकार से भर गया।
अब इसे लगता है कि यह शोहरत की चमक-दमक ही सबकुछ है, और धर्म और इस्लाम की बातें सिर्फ मजाक हैं। इसकी नजरों में धर्म और धार्मिकता की कोई अहमियत नहीं है।
यह व्यक्ति तो उदारवाद (लिबरलिज़्म) की सारी सीमाएं भी पार कर चुका है।
एक समय आएगा जब इसे समझ आएगा, लेकिन फिलहाल हमें, मुसलमानों को, सोचना और समझना चाहिए कि हमारे नौजवान मनुवर फारुकी जैसे नीच उद्देश्यों वाले लोगों के पीछे कब तक भागते रहेंगे और इससे आखिर क्या हासिल होगा?
मनुवर जैसे लोग एक खास मानसिकता के तहत युवाओं को धर्म के नाम पर इस्तेमाल करते हैं, अपना करियर चमकाते हैं और फिर उसी धर्म का मजाक उड़ाते हैं।
✍️: समीउल्लाह खान